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31 Jan 2021 · 1 min read

जिस्म !

जिस्म !
छूना तेरे जिस्म को,
हरगिज़ मेरी चाहत नहीं,
रूह तक अगर उतर ना पाऊ,
तो मेरे दिल को फिर राहत नहीं,

आँखों को बंद कर भी,
तेरा दिदार किया करता हूँ,
तेरे ख्यालों में खोकर,
रातों को सोया करता हूं,
असहज ना हो जाए तू,
तेरे बदन को मेरे छूने से,
ख्वाबों में भी इसलिए,
तुझें दूर से देखा करता हूँ,

मेरी मोहब्बत है तू,
सोचकर हर वक़्त मुस्काया करता हूँ,
तेरे कयामती जिस्म को देखने की फुरसत किसे है,
मैं तो तेरी आँखों मे खोकर,
अपने दिन गुजारा करता हूँ,

छूना तेरे जिस्म को,
हरगिज़ मेरी चाहत नहीं,
रूह तक अगर उतर ना पाऊ,
तो मेरे दिल को फिर राहत नहीं,
दीपक ‘पटेल’

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 350 Views
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