जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी जिसे सुनके सभी झूमें लबों से गुनगुनाएँ भी लबालब वो मुहब्बत का तराना छोड़ दो अब तो आर. एस. ‘प्रीतम’