जिसे भूल कर भी भुला ना सके हम
जिसे भूल कर भी भुला ना सके हम ,
‘मनोहर’ उसे ना फिर कभी याद आ सके हम ,
जिसे भूल कर भी ….
यूँ बातें बहोत की बिना बात की ,
पर हाल ए दिल अपना बता ना सके हम ,
जिसे भूल कर भी ….
‘मनोहर’ उनको पता अपना बताते भी क्या ,
जो उम्र भर एक ठिकाना बना ना सके हम ,
जिसे भूल कर भी ….
जला डाली खत और तस्वीरें भीं ,
पर य़ादों के घर ना ज़ला सकें हम ,
जिसे भूल कर भी ….
वो होंगे खुदा , कम तो हम भी नही ,
यही सोचकर सर झुका ना सके हम ,
जिसे भूल कर भी ….
जो डरते रहे उनके जंग से उम्र भर ,
वो ‘ मनोहर’ खुद से ही आगे ना जा सकें हम ,
जिसे भूल कर भी ….
लेखक – मनोरंजन कुमार श्रीवास्तव
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