जिसे भुलाया था वर्षों पहले, वो ख्वाबों में फिर से आ रही है।
गज़ल
12122/12122/12122/12122
जिसे भुलाया था वर्षों पहले, वो ख्वाबों में फिर से आ रही है।
खुदाया तू ही सॅंभाल मुझको, वो रातों में फिर जगा रही है।1
मुझे तबाही सी दिख रही है ये देश दुनियां कहीं भी देखो,
सुधर भी जाओ है वक्त अब भी, प्रकृति हमें ये बता रही है।2
यही तो सरकार कह रही है, तलो समोसे पकोड़े यारो,
जियो तो खुद के सहारे तुम भी, कमा के खाओ सिखा रही है।3
तमाम तूफां मिलें सफर में, झुका नहीं मैं डिगा न पथ से,
कभी न कर पाये बाल बांका, ये मां की मेरी दुआ रही है।4
कहां से आई न कोई जाने, अजीब शैतानी वो बवा थी,
निगल गईं जो करोड़ों जानें, न कोई उसकी दवा रही है।5
तुम्हारे प्रेमी रहें जहाॅं भी, सदा ही उनका खयाल रखना,
परम पिता हे कृपा के सागर, सदा तुम्हारी दया रही है।
………..✍️ सत्य कुमार प्रेमी