*जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है (हिंदी गजल)*
जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है (हिंदी गजल)
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(1)
जिसने भी देखा अंतर्मन, उसने ही प्रभु पाया है
वाह्य-जगत में कब प्रभु मिलते, मिलती केवल माया है
(2)
जो भी आया जग में उसको, जाना पड़ता एक दिवस
सदा-सदा से सत्य सुनिश्चित, यह मिट्टी की काया है
(3)
आत्म-तत्त्व दुर्लभ है अनुभव, किसी-किसी को मिल पाता
घना कोहरा परम-सत्य पर, समझो हर क्षण छाया है
(4)
सब में जिसने देखा उसको, उसमें सब को देख लिया
सत्य सरल है किंतु समझ में, उसी एक के आया है
(5)
महॅंगे क्रियाकलापों में मत, उलझ-उलझ उसको ढूॅंढो
पत्र पुष्प फल जल का अर्पण, मन से प्रभु को भाया है
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451