“ जियो और जीने दो ”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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सब को अपने ढंग
से जीना है
किसी को किसी से
क्या लेना है
जब अपनों ने मुँह
मोड लिया
नाते -रिस्ते सब
छोड़ गया
तब औरों को क्यों
वाध्य करें
गैरों को क्यों हम
तंग करें
दुख को पास न
आने दो
इच्छा चाहत को न
जगने दो
चाहत से ही संघर्ष
उपजते हैं
एक दूजे के दुश्मन
बनते हैं
खूब जियो सबको
जीने दो
खुद उनको अपना
करने दो
प्रेम की बातें खुद
ही सीखेंगे
अपने फर्ज को वे
खुद जानेंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल “
साउन्ड हेल्थक्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
30.04.2023