जिम्मेदारी और हौसला ।
दिन उदासी और रात आंखो में चुबता था !
दिन रात मन आग सा जलता था !!
किस किस के ताने को अनसुना करते !
किस से अपनी दिल की बाते करते !!
अंदर ही अंदर मन खोखला हो गया !
अब मेरा हौसला टूटने लग गया !!
टूटे हुए हौसले से जिम्मेदारी संभलता है कैसे !
एक बाप बेटे का शव लिए चलता है जैसे !!
बादल को हटा , सूरज भी निकलेगा !
ये वक्त है , जरूर बदलेगा !!
वक्त पर नहीं , काम पर ध्यान दे !
हौसले से जीवन का हर इम्तिहान दे !!