जिन बातों को सह गए,हम पाने को चैन
जिन बातों को सह गए,हम पाने को चैन
वे बातें खाती रहीं, हमको हर दिन रैन
हमको हर दिन रैन, बताती रहतीं हरदम
सहना भी अन्याय,नहीं विष पीने से कम
कहे ‘अर्चना’ बात, सताती वे रातों को
करते रहते रोज,अनसुनी जिन बातों को
डॉ अर्चना गुप्ता
04.05.2024