*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/ गीतिका )
————————————–
(1)
जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया
बड़ा बनने का असली बस, हुनर उनको ही है आया
(2)
डकारों के बिना ही अरबों, खरबों खा गए हैं यह
बड़ा मजबूत इनके पेटों ने है हाजमा पाया
(3)
बड़े लोगों ने घोटाले, किए तो हैं बहुत ज्यादा
मगर सोने या चाँदी का, न हलवा एक ने खाया
( 4 )
बड़ा तो बन गया वह कर के, घोटाला मगर फिर भी
जहाँ भी वह गया ,लोगों ने उसको चोर ठहराया
( 5 )
जिसे इज्जत की मिलती रोज, है दो वक्त की रोटी
फरिश्तों ने सुना है यह ,पलक पर अपनी बैठाया
(6)
ये शाही-ठाठ जितने हैं, घोटालों से आए हैं
घोटाला-बंगला इस ही, वजह से नाम कहलाया
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451