जिन्दगी
आशिकी में बनी शायरी जिन्दगी
रूठती देखती हूँ बटी जिन्दगी
चाँद जीता रहा जिन्दगी अनमनी
आ गयी चाँदनी तो खिली जिन्दगी
हर किसी के लिए अब दुआ माँगती
रोज ही आपसी बात में कटी जिन्दगी
वापसी फिर नहीं हो सकी लाल की
देखती माँ रही वो रूकी जिन्दगी
जिन्दगी दूर ही अब खडी सोचती
जिन्दगी माँगती वापसी जिन्दगी
आशिकी में मिले रंग जब प्यार के
हो गयी यार अब चाशनी जिन्दगी
हो गये कैद जब रूपये में सभी
तब सभी को लगी पाक सी जिन्दगी
आँख से बोलती वो अदाएँ कभी
प्यार की बंदगी सी लगी जिन्दगी
सभी को रही तिश्रगी जिन्दगी में
वक्त हर ‘मधु’ भटकती रही जिन्दगी