जिन्दगी
जिन्दगी प्रेम का रंग है
हर हाल में रंगना पड़ेगा
जिन्दगी रंज की पीड़ा है
हर हाल सहना पड़ेगा
प्यार का है एक सागर
नहीं दिखता किनारा है
गहराई बीच जा कर के
लहरों से लड़ना पड़ेगा
सुख दुख का ज्वारभाटा
आता और जाता रहता है
जो बीच भँवर फँस जाए
उसे ये सब सहना पड़ेगा
जीवन का रंग निराला है
ये रंग प्यारा और न्यारा है
जो चाहो नहीं है मिलता
जो मिल जाए सहना पड़ेगा
प्रेम घनश्याम के टुकड़े सा
जीवन में खूब बरसाता है
कभी तडफाए बूंद बूंद को
पपीहे सा है रहना पड़ेगा
जीवन है काल जाल चक्र
रिश्तों का यह ताना बाना
जीवन पर्यन्त रहे चलता
जीवन भर निभाना पड़ेगा
जिन्दगी प्रेम का रंग है
हर हाल में रंगना पड़ेगा
जिन्दगी रंज की पीड़ा है
हर हाल में सहना पड़ेगा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत