जिन्दगी
माया के चक्र मे
भ्रमित है हर इक जिन्दगी
अधूरी इच्छाओं से
ग्रसित है हर इक जिन्दगी ।
चिन्ताओं के भंवर मे
कल्पित है हर इक जिन्दगी
सुबह शाम की दौड़ से
व्यथित है हर इक जिन्दगी ।
कुछ सालों के खेल मे
सीमित है हर इक जिन्दगी
सांसों की गिनती मे
जीवित है हर इक जिन्दगी ।
किस दिशा मे जायेगी
अंकित है हर इक जिन्दगी
प्रभु के आदेश से
रचित है हर इक जिन्दगी ।।
राज विग