जिन्दगी है तू ही…………………. तू ही प्रीत है |गीत| “मनोज कुमार”
जिन्दगी है तू ही और तू ही मीत है
तू साँसें तू धड़कन तू ही गीत है
तू आशा मिलन तू ही संगीत है
तू चाहत है दौलत तू ही प्रीत है
जिन्दगी है तू ही…………………. तू ही प्रीत है
तू यादों के किस्से किताबों में है
शबनम की बूँदों में तू गुलाबों में है
जो दिखाती नजाकत वही दिल में है
वही बागों की यादें महोब्बत में है
जिन्दगी है तू ही…………………. तू ही प्रीत है
प्रेम की नई इबारत लिखेंगे सनम
मिल जायेगी राह चलो तो सनम
हों इरादे गर पक्के सनम संग में हैं
वो मिलेंगे सनम दिल इबादत में है
जिन्दगी है तू ही…………………. तू ही प्रीत है
प्रेम की है तू खुशबू तू ही भोर है
तुम अश्क नयन के तू दिलचोर है
तू ही मुस्कान मेरी तू ही शान है
तू ही नगमें ग़ज़ल मेरी पहचान है
जिन्दगी है तू ही…………………. तू ही प्रीत है
तुमसे होती हैं रातें गुलज़ार मेरी
सुबह होती ना तुम बिन तू जान मेरी
जिसको अपनाने की चाहत वो रीत है
हर कदम पे दिखे जो तू वो चीज है
जिन्दगी है तू ही…………………. तू ही प्रीत है
“मनोज कुमार”