जिन्दगी है एक कोरी सी किताब।
जिन्दगी है एक कोरी सी किताब,
जिसमें लिखना है हमे हर एक हिसाब।
इसका हर एक शब्द एक एक पल हुआ,
एक सफ़ा है आज तो एक कल हुआ
इसमें लिखने कर्म के कुछ प्रश्न हैं,
और प्रतिफल में मिलें जिसके जवाब
जिन्दगी है एक कोरी सी किताब
जिसमें लिखना है हमे हर एक हिसाब।
जन्म से जीवन सतत् कुछ प्रश्न उत्तर,
दिख रहा है वालपन में मुग्ध तन-मन,
और उस पर झूमता मद मस्त यौवन,
छा रहा हर सिम्त ये कैसा शवाब ?
जिन्दगी है एक कोरी सी किताब
जिसमें लिखना है हमे हर एक हिसाब।
कह गये भूषण सुकवि पुंगव सभी
जब तलक यौवन रहे गौरव तभी,
हर सफ़े पर गुन गुनाती एक गज़ल,
हर गज़ल के साथ एक छोटा गुलाब
जिन्दगी है एक कोरी सी किताब
जिसमें लिखना है हमे हर एक हिसाब।
हो रहा है शिथिल ताना अब कहाँ वो मस्त बाना,
आत्मबल से बढ़ रहा,तन कर सदा बनकर सयाना
लिख रहा अनुभव समेटे कालजय प्रतिमान,
पूर्ण करने को सभी अपने अधूरे ख्वाब
जिन्दगी है एक कोरी सी किताब
जिसमें लिखना है हमे हर एक हिसाब!