जिन्दगी से क्या मिला
जिन्दगी मे, मै हुआ
कितना लहूलुहान
यह मत देखो तुम यारो
देखना है तो यह देखो
अपनों ने कितने तीर
मुझ पर है साधे।
गिन सको तो गिन लो इतना
मिला कितनी बार मुझे
अपनो से विश्वासघात
कितनी बार अपने बनकर
लोगो ने पीठ में है खंजर भोके
कर सको तो कर लो तुम
मेरे टूटे दिल का हिसाब-किताब
कितनी बार लोगो ने इसको
अपने तीखे शब्द बाणों से तोड़े।
दिखा सको तो दिखा दो है ईश्वर
मेरे उन छलनी अँरमा को
जिन अपनो के सपनो के लिए
मैंने थे कई राते जागे।
क्या मिला मुझे जिन्दगी से
यह मत पूछो तुम यारों
बस जैसा कर्म किया था मैंने
वैसा फल न मिला मुझको यारों।
~अनामिका