जिन्दगी में सवालों का घेरा
जिन्दगी गुजर
जाती है
सवालों के
जंजाल में !
बड़ी बेदर्द से
जबाव मांगती है
जिन्दगी
हर सवाल का
सवाल कभी यक्ष प्रश्न
बन जाते है
और हम जबावो के
चक्रव्यूह में
फंस जाते हैं
बुढापा
अपने आप में है
एक सवाल
बच्चों को पाला
पेट काट कर
अब वो बुढापा
काटेंगे कैसा ?
सबसे मुश्किल
सवाल होता है
जिन्दगी का अंत
इन्सान चिर निद्रा
में सो जाता है
और दुनियां करती है
विश्लेषण उसकी
जिन्दगी का
काश सवालों को
विराम लग जाऐ
और
जिन्दगी अविराम
हो जाऐ
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल