जिन्दगी बितानी
जिन्दगी बितानी (गीतिका)
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जब साथ साथ रहकर है जिन्दगी बितानी।
यादें कठिन समय की हमको नहीं भुलानी।
ठंडी हवा बहे जब आनंद खूब आए।
अब एक दूसरे से नजरें नहीं चुरानी।
बिन एक दूसरे के अब हम न रह सकेंगे।
होगी मधुर बहुत ही यह प्रेम की कहानी।
मृदु मंद मुस्कराहट है खिल रही अधर पर।
है बात कह रही सब अपनी स्वयं जुबानी।
मंजिल हमें मिलेगी पग तेज जब बढ़ेंगे।
हर भूल कर निराशा अब आस है जगानी।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/०९/२०२१