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27 Jul 2021 · 1 min read

जिन्दगी पर मुक्तक

जिन्दगी के रथ में लगाम बहुत है।
अपनों के अपनों पर इल्जाम बहुत है।
शिकायतों का दौर देखकर थक जाता हूँ,
लगता है,उम्र कम है इम्तिहयान बहुत है।

आर के रस्तोगी

Language: Hindi
2 Likes · 636 Views
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