#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया।
दर्द में भी मुझको ,हंसना सिखा दिया।।
ऐसे ही नही मैने ,एक पल में है सब सीखा।
खोया बहुत कुछ मैंने ,तब जाके है सीखा।।
आंसुओ को घूंट में पीना सीखा दिया।
जिंदगी ने मुझको जीना सीखा दिया।।
एहसासों को अपने मैंने , खुद ही दबाया है।।
दर्द अपने दिल का मैने सब से छुपाया है
हारी हुं मैं खुद को ,तब खुद को जिताया है।
खुद को रूलाकर के फिर ,खुद को मनाया हूं।।
सबक जिंदगी ने मुझे कुछ ऐसे सीखा दिया।
वक्त के साथ में बदलना भी सीखा दिया।।
जिंदगी ने मुझको जीना सीखा दिया।
बिखरी हूं तिनका -तिनका,मैं खुद से ही सम्हली हूं।
न जाने कितनी बार मैं,खुद से ही लड़ी हूं।।
ज़ख्मों पर अपने आप ही मरहम लगायीं हूं ।।
अब औरों से गिला शिकवा करना मैंने छोड़ दिया है।।
अब ठोकरों से गिरकर ,उठना मैने सीख लिया है।
ज़िन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया।।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ