जिन्दगी जो मिले तुम्हें
जिन्दगी जो मिले
तुम्हें
किसी का हक छीनकर
उसे बदहाली में रखकर
उसका भरोसा तोड़कर
वह जिन्दगी कभी कोई
जिन्दगी नहीं होती
अपनों का साथ छूट रहा है
पराये अच्छे लग रहे हैं
यह सब अभी ठीक लग रहा
है लेकिन
बहुत जल्द
जीवन के एक मोड़ पर
देगा तुम्हें घुटन,
दुख और पीड़ा
नहीं होगा पर उस समय
तुम्हारा कोई हाथ पकड़ने
वाला
तुम्हारे सिर पर हाथ फेरकर
कोई आशीष देने वाला
सबको लूटने के बाद भी
तुम हो जाओगे
रिश्तों से कंगाल और
गरीब
यह भीड़ जो कभी तुम्हें
लगती थी अपनी
इनमें से एक न होगा जो
तुम्हें अपना कहकर
अपनायेगा और
आगे बढ़कर
गले लगायेगा
ह्रदय से एक मां की ममता सा
प्यार से पुचकारता हुआ
अपने बच्चे सा चिपकायेगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001