जिन्दगी के मौसम के रंग
जिन्दगी का रंग
कल फीका था
आज चटख
कल न जाने क्या हो
जिन्दगी के मौसम के
जितने रंग देखे हैं
उतनी तो तैय्यारी
कर ली है मैंने
कल के लिए
कुछ इससे हटकर हो
जायेगा तो
देख लेंगे
जब आज तक
अच्छे बुरे
हर तरह के समय से
होकर यह
जीवन के सफर की
रेलगाड़ी गुजरी है तो
रेलगाड़ी के पलटने पर
रेल की पटरी से कट भी
लेंगे हम।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001