~~ जिन्दगी की पतवार तेरे हाथ में ~~
नाविक की जिन्दगी भी,
क्या लिखी है ऊपर वाले तूने
पतवार तो हाथ में है उसके
पर जिन्दगी की तेरे हाथ में….
किस पल डूब जायेंगे
सब बिखर कर उस के सपने
तब पतवार भी वहां काम
न आएगी, अधूरे रह जायेंगे सपने.
शिद्दत के बाद वो लौटेगा
जब अपनी मंजिल की और
किस राह ले जायगी
तेरी पतवार उस को खींच कर..
आशा और निराशा का यह खेल
समझ न पायेगा वो तब तक
जब तक मजिल को छूती नहीं
हाथ में पकड़ी पतवार वो उसके …
अजीत कुमार तलवार
मेरठ