जिन्दगी की किताब में
जिन्दगी की किताब में
जिन्दगी कहीं नहीं दिखती
यह जिन्दगी आखिर होती क्या
चीज है
मरने के बाद तो
यह बिल्कुल ही नहीं दिखती
यह भी कुछ कुछ
मोहब्बत करके
सब कुछ खो देने जैसा अहसास है
मिलती है
ऐसा लगता है
पर सोलह श्रृंगार करके
लाल जोड़ा पहन
दुल्हन सी नहीं सजती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001