जिन्दगी की अंगीठी पे
आदमी इतराता बहुत है अपनी जरा सी
तकनीकी पे
अरे अच्छे अच्छे ख्वाब सुलग जाते हैं
जिन्दगी की अंगीठी पे
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
आदमी इतराता बहुत है अपनी जरा सी
तकनीकी पे
अरे अच्छे अच्छे ख्वाब सुलग जाते हैं
जिन्दगी की अंगीठी पे
-सिद्धार्थ गोरखपुरी