जिन्दगी और उम्र
जिन्दगी और उम्र
जिन्दगी को पूछा मैंने,
तुम्हारी शिकायत करूँ तुमसे?
ब्रह्माण्ड इतना विशाल
उम्र अरबों , करोड़ों साल की
तारे, सूरज, ग्रह इतने बड़े, इतने दूर,
जीवन बहुत छोटा है, अगर सोचें ब्रह्माण्ड का,
मेरा सम्बन्ध तो तुमसे ही है,
जिन्दगी है, तभी हम हैं,
हम हैं तभी जिन्दगी है।
फिर तुम्हारी उम्र इतनी कम क्यों?
जिन्दगी बोली
तुमने सवाल कर दिया मुझसे
जवाब भी दूँगी ज़रूर,
जहां तक पता है ,अब तक ,
पूरे ब्रह्माण्ड मेंअकेले विकसित जीव हो।
इस छोटे से जीवन में कितनी तरक़्क़ी की ,
मानव जीवन को सुखमय बनाया
पृथ्वी को आकर्षक बनाया
बाक़ी ग्रह ,नक्षत्र ,तारे ,सुनसान निर्जीव हैं,
कम उम्र है, तभी जोश है , उमंग है,
मैं , मानवी जिन्दगी भी तब तक हूँ,
जबतक तुम मानव हो।
जिन्दगी लम्बी नहीं, सफल होनी चाहिये।