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26 Mar 2024 · 1 min read

जिनपे लिखता हूँ मुहब्बत के तराने ज्यादा

जिनपे लिखता हूँ मुहब्बत के तराने ज्यादा
वे ही लगते हैं मेरे दिल को दुखाने ज्यादा

ज़िंदगी तेरे तजुर्बे से यही सीखा है
ज़ख़्म देते नहीं अपनो से बेगाने ज्यादा

देर लगती नहीं है वक़्त बदलते यारों
आप मत दीजिए कमजोर को ताने ज्यादा

जबसे अपना लिया है आपने ये सादापन
आप सबको लगे हैं और लुभाने ज्यादा

भूख जितनी है ग़रीबों के शिकम में यारों
फेंक देते हैं लोग उससे तो खाने ज्यादा

मन में आता कि कहूँ चोर बुलाकर उनको
दिल चुरा कर लगे मुझको जो सताने ज्यादा

मुझको कमतर वही ‘आकाश’ समझ लेता है
जान जिस पर भी मैं लगता हूँ लुटाने ज्यादा

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 18/03/2024
___________________________
मापनी- 2122 1122 1122 22/112

164 Views

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