जिजीविषा की हत्या
हत्या वह ही केवल नहीं होती ,
जो जिसकी जान लेकर की जाती है।
हत्या वह भी होती है जब किसी से ,
उसकी जीने की इच्छा छीन ली जाती है ।
स्वाभिमान को घायल कर ,
उसकी आत्मा को चोट पहुंचाई जाती है ।
उसके अरमानों का खून कर ,
घुट घुट के जीने की सजा दी जाती है।
प्रतिदिन उससे दगा करके ,
उसके विश्वास की चिता जलाई जाती है।
एक चेहरे पर कई चेहरे लगाकर ,
मन और बुद्धि भ्रमित कर दी जाती है ।
ऐसे कपटी ,घमंडी और तेज ,
तर्रार दानव नुमा व्यक्ति के संग ,
एक सरल और भावुक इंसान की जिंदगी ,
मौत से बदतर हो ही जाती है।