जिए सदा वतन के लिए
जिएँ तो जिएँ सभी वतन के लिए।
खिलते हों फूल ज्यों चमन के लिए।।
तिरंगे की शान में है शान हमारी।
इसी से बनी जग में पहचान हमारी।
कि फहराएँ मिलकर गगन के लिए।
खिलते हैं फूल……………………।
वतन से बड़ी कोई जन्नत ना होती।
इससे बड़ी कोई मुहब्बत ना होती।
भरलें प्यार इतना ज़हन के लिए।
खिलते हैं फूल……………………।
देशप्रेम बिना जीना है यूँ जीना।
अँगूठी में जैसे होता ना नगीना।
झुकता सिर तिरंगा नमन के लिए।
खिलते हैं फूल…………………….।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
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मुखड़ा…19-19
अंतरा…..22-22
धुन..बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम…फ़िल्म साजन