जिंदगी
हर घड़ी कितना हमे है आजमाती जिंदगी |
रोज आँखों में कई सपने जगाती जिंदगी ||
रौशनी की आड़ में छलती रहें हमको सदा |
दीप खुशियों के जला फिर क्यूँ बुझाती जिंदगी ||
नाम के रिश्ते सभी हैं नाम के नाते यहाँ |
इक यही सच है यहाँ हमको बताती जिंदगी ||
झोलियां भरकर खुदा ने दी हमे सौगात है |
प्यास दौलत की भला फिर क्यूँ बढ़ाती जिंदगी ||
जिस गली जाना नहीं क्यूँ राह उसकी पूछते |
सोच कर पग को उठाना है सिखाती जिंदगी ||
खत्म करके ये सफर जाना सभी को एक दिन |
हर घड़ी हर पल हमे फिर क्यों रुलाती जिंदगी ||
कामना यश की करे तो हौसलें मजबूत कर |
हौसलों से आसमां को भी झुकाती जिंदगी ||
भूल कर हर गम ख़ुशी के पल रमा जी ले जरा |
देख फिर कैसे ख़ुशी से खिलखिलाती जिंदगी ||
रमा प्रवीर वर्मा~