जिंदगी
जिंदगी नूतन सृजन का नाम है
हौंसलों का बस यही पैगाम है
चलते हैं मीलों उठाये भार जो
उनको पल भर भी कहाँ आराम है
जीते हैं जीवन फकीरों की तरह
उनको जैसी सुबह वैसी शाम है
मारकर मन जो बहानों में जिये
वो ही अपने काम में नाकाम है
दूसरों की बुराई करते रहे
ईर्ष्या से उनका जीना हराम है
कर रहे अच्छाई कुछ इस जहां में
उनके भी तो आज चर्चे आम हैं
– सतीश शर्मा
जिला- नरसिंहपुर ( मध्यप्रदेश )