*”जिंदगी”*
– “जिंदगी”
1️⃣ हाले दिल किसे सुनाए ,
कोई सुनता ही नहीं,
आंखो से जो बहता पानी
छुपता ही नहीं।
2️⃣ न जाने दर्द की दवा कहां से
ले आये,
दुआओं के इंतजार में बैठे आखिर
कहां जाये।
3️⃣ वक्त की ऐसी आँधी चली ,
सब कुछ उड़ा कर ले गई।
बीते हुए लम्हों के यादों को
भुलाते चली गई।
4️⃣ कतरा कतरा ये जिंदगी चलती ही गई,
माँ की ममता पिता के साये में,
जिंदगी संवरती गई।
5⃣चल पड़ी हूँ जिंदगी को संवारने के लिए,
आशा विश्वास उम्मीद का दीप जला एक दूसरे का साथ लिए।
शशिकला व्यास✍️