जिंदगी
जिन्दगी एक सूखी हुई, बांस हो गई हैँ //
जुए मे हारने के बाद, फेकी हुई तास हो गई हैँ //
समस्या से भरे समुन्दर मे, गोते लगा रही हैँ //
हर क्षण नए प्रश्न पत्र से, मेरा सामना करा रही हैँ //
ऐ जिन्दगी तेरे तुफानो से, थम सा गया हु //
था कइयों से रूठा, अबतो तुझसे भी रूठ सा गया हु //
यूँ तो तुफानो मे भटकी सी, नाव हो गई हैँ जिन्दगी //
मानो श्मशान मे पड़ी, जिन्दा लास हो गई हैँ जिन्दगी //
:- कविराज श्रेयस सारीवान