जिंदगी
रूक गये कदम
रूक गयी जिंदगी
रूक गयीं सांसे
रूक गयी जिंदगी
चलते रहे
बढ़ते रहे
पहुंचना है
लक्ष्य तलक
रूके कदम
थम गयी जिंदगी
है चलायमान
प्राकृति
नदी
पंछी
हवा
रूक गयी
प्राकृति
थम गयी जिंदगी
जीना है
जन्म मिला है
उन्नति करना है
ऊचाईयां छूनी है
चलना है
चलते रहने
का नाम
चलना ही
जिंदगी है
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल