जिंदगी
आजा कि बेकरार होकर दिल करता है इंतज़ार तेरा
जान ले लेगा सनम जाकर फिर आने का करार तेरा
निगाहें हैं लगी राहों पे कि कब आओगे तुम
बेचैन हैं हम ‘पिया’ कबसे और जिया तलबगार तेरा
दिल तोड़के हँसते हैं वो मेरा ,नहीं चेहरे पे मलाल होता है
दिल टूट गया या नहीं ‘मेरा’ ,मौन लबों पे ये सवाल होता है
चाहकर भी भूलाया जाता नहीं उनका चेहरा दिल से
तंन्हाई में भी तन्हा नहीं रहते हम संग उनका ख्याल होता है
सनम तेरी राहों में हम पलकें बिछाए बैठे हैं
खुली अँखियों में कुछ ख्वाब सजाए बैठे हैं
एक बार तो नज़रें करम करदो हम पर
इसी आस में दिल तुझसे लगाए बैठे हैं
नीलम शर्मा✍️