जिंदगी
जिंदगी दर्द का दामन है मगर,
खिलता हुआ कमल है जिंदगी।
जिंदगी तड़प की आह है मगर,
गुनगुनाती हुई गज़ल है जिंदगी।
जिंदगी रोती हुई उम्र है मगर,
हंसता मुस्कुराता हुआ पल है जिंदगी।
जिंदगी श्मशान और खंडहर है मगर,
घर ,मंदिर तो कहीं महल है जिंदगी।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव