— जिंदगी है यह साहब —
कभी कुछ न मिले तो
दिल से लगा के न बैठ जाना
जिंदगी है यह साहब
अपनी कोई अमानत नहीं है
ठोकर भी मिलेगी यहाँ
प्यार भी मिलेगा
कभी कुछ दिल पर न लगाना
साहब यह तो जिंदगी है
कभी किसी की न हुई ये
न किसी की होगी कभी
जैसी भी मिले साहब
चुपचाप गुजार ही लेना
क्यूंकि यह जिंदगी है
अपना अपना सब करते हैं
अपना कोई दिखता नहीं
कौन बाँटता है दुःख किसी का
यह जिंदगी भी तो बेवफा है
अजीत कुमार तलवार
मेरठ