जिंदगी है दुखों से बरी
जिंदगी है दुखों से भरी
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जिन्दगी है दुखों से भरी,
खट्टी-मीठी यादों से भरी।
बहुत मुश्किल डगर हुई,
शूल और काँटों से भरी।
संकटों से भरा है जहां,
टेढ़े – मेढ़े राहों से भरी।
काटे कटती नहीं है रातें,
गमज़दा आहों से भरी।
पल दो पल हुई आखिर,
मुलाकात बातों से भरी।
मनसीरत कहाँ पर जाए,
हर बस्ती लपटों से भरी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)