# कर्मों का लेखा जोखा#
जिंदगी है चार दिन की,
प्रेम से गुजार लो।
मौत ही तो सत्य है,
इस सत्य को तुम मान लो।
जिंदगी है चार दिन की………
न भरोसा आज का,
तो कल की चिंता क्यों करे,
व्यर्थ में कल के लिए
क्यों आज सबसे हम लड़े।
साथ कुछ न जाएगा,
सब यहीं रह जाएगा।
लड़ना हल है ही नही,
इस बात को तुम मान लो।
मौत ही तो सत्य है,
इस सत्य को भी मान लो।
जिंदगी है चार दिन की…….
नेकी का रस्ता सरल है,
पग बढ़ा कर देख ले।
दीन दुखियों की पीड़ा,
दूर कर के देख लो।
पैसा ही सब कुछ नही,
इस सत्य को भी जान लो।
जिंदगी है चार दिन की,
प्रेम से गुजार लो।
मौत ही तो सत्य है,
इस सत्य को भी मान लो।
बंगला,गाड़ी, धन और दौलत,
सब यहीं रह जाएगा।
खाली हाथ आया था,
तू खाली हाथ जाएगा।
त्याग कर तु छल कपट,
जिंदगी संवार लो।
मौत ही तो सत्य है,
इस बात को तु मान लो।
जिंदगी है चार दिन की……
आएगी जब मौत तो,
न कोई होगा साथ में।
कर्मों का ही लेखा _जोखा,
जाएगा तेरे साथ में।
कर के नेक काम वंदे,
कर्म तु सुधार ले।
जिंदगी है चार दिन की…..
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ