जिंदगी से थकान
आज कल बहुत थकने लगी हूं ,
जिंदगी से कुछ ऊबने लगी हूं ।
किसी काम में मन लगता नही ,
हर काम को बोझ समझने लगी हूं।
उम्र का तकाजा लगता है शायद ,
इस हकीकत को समझने लगी हूं ।
जिम्मेदारियों का बोझ हटता ही नही ,
अब तो सुकून को तरसने लगी हूं।
अपने शौक के लिए वक्त नहीं मिलता,
अपने सपनों से समझौता करने लगी हूं।
ए अनु ! नसीब में एक पल भी मयस्सर नहीं,
अब मौत ही देगी आराम उसी पर आशना हूं।