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9 Mar 2022 · 1 min read

जिंदगी से थकान

आज कल बहुत थकने लगी हूं ,
जिंदगी से कुछ ऊबने लगी हूं ।

किसी काम में मन लगता नही ,
हर काम को बोझ समझने लगी हूं।

उम्र का तकाजा लगता है शायद ,
इस हकीकत को समझने लगी हूं ।

जिम्मेदारियों का बोझ हटता ही नही ,
अब तो सुकून को तरसने लगी हूं।

अपने शौक के लिए वक्त नहीं मिलता,
अपने सपनों से समझौता करने लगी हूं।

ए अनु ! नसीब में एक पल भी मयस्सर नहीं,
अब मौत ही देगी आराम उसी पर आशना हूं।

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