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14 Jan 2018 · 1 min read

जिंदगी से क्या सीखा

तेरी जिंदगी की दौड़ में,क्या तुम्हें तालीमें मिलीं;
नसीहतों के साथ मे कभी चाहतें भी खिलीं।
जिंदगी की राह में दर-दर भटके कभी-कभी;
जिंदगी की आपाधापी में कहीं अटके कभी -कभी;
इस रेस के कोर्ट में किसी को खटके कभी-कभी,
किसी ने हाथों-हाथ लिया तो किसी से दुश्वारियां मिलीं।
तेरी जिंदगी_________
उल्फत की राह गम से बेख़ौफ़ हों चले हम;
राह ऐ बंदगी के दर पर माथा टेकते चलें हम;
पर सब ये नामंजूर था बन्दिशों को तो क्या करें,
जैसे ही बढ़ाये कदम मंजिल की तरफ़ खुद में ही खामियां मिलीं।
तेरी जिंदगी_______
कुछ पल गुजरे मायूसी में, तो कुछ हंसी के भी मिले;
हम समझे थे अपनी मंजिल जिसको; वो कुछ और ही था,
संतुष्ट थे हम अपने बढ़ते कदम की ताल से;
पर जब भटके हम अपनी राह से और बदनामियां मिलीं।
तेरी जिंदगी __________
जब तक समझ पाते कुछ; सारा मंजर ही बदल गया,
वक्त से मिले तोहफे से दिल ही दहल गया,
पर धीरज ने दम न तोड़ने दिया; और हमसे बोला
खुद को संभाल; ऐ ‘निश्छल’; संजो अपने ख्वाब;
रख कदम दृढ़ता के साथ;फिर देखना कैसे न तुझे मंजिलें मिली।।
तेरी जिंदगी__________________

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