जिंदगी संघर्ष है
!! श्रीं !!
गीतिका
०००००
जिंदगी संघर्ष है
०००००
मौन पी ले पीर तू कहना मना है ।
गा इसे ये जिंदगी है वंदना है ।।१
०
कब बुझाई है किसी की प्यास उसने ।
ये समन्दर देख ले खारा घना है ।।२
०
फितरती हैं लोग बस सपने दिखाते ।
ये थमाते वायदों का झुनझुना है ।।३
०
पिस रहा है किसलिये इतना बता दे ।
सुख कहाँँ है आदमी की कल्पना है
।।४
०
बैठ मन-गुन की बता कुछ बात कर ले ।
हर समय रहता बता क्यॊं अनमना है ।।५
०
साध कर अपना निशाना मार पत्थर ।
पर स्वयं पाषाण जैसा तू बना है ।।६
०
लिख कहानी फिर नई अपनी कलम से ।
जिंदगी संघर्ष है सुन साधना है ।।७
०००
महेश जैन ‘ज्योति’,
6- बैंक कालोनी, महोली रोड़,
मथुरा -281001
मो०-9058160705
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