जिंदगी मौत का खेल
शुरू होती कहानी का अंत जरूर होता है,
जो खुद आता रोता हुआ वो रुलाकर सबको जाता है,
गर दुनिया इक कहानी है तो उस का लेखक खुदा है,
जो इसके हर किरदार का कर्ता धरता और विराम है,
अटल सत्य से अवगत होते है सब यहां पर,
फिर भी बचने के लिए उससे इंसा भागता यहां वहां है,
जीना सब चाहते हैं सदियों तक लोगों की यादों में,
पर कर्म वैसा करना नहीं कोई चाहता है,
दूसरों के दुख दर्द में जब खोजते हम अपनी खुशी,
तब लोगों की दुआओं में भी हमारी मौत मांगी जाती हैं,
दुआएं उस तक पहुंचे न पहुंचे पर बददुआएं असर ज़रूर दिखाती हैं,
जिस आराम के लिए भागते रहते पूरी जिंदगी,
वो मरने तक भी कहां नसीब होता है,
सूरत जिसकी देखने और प्यार पाने के लिए तरसते रहे अब तक,
वहीं हमारे लिए अश्क बहाए और दिल से भूलाया जाता है,
गजब कलम है उस लेखक की कहानी क्या वो लिखता है,
आते जाते किरदारों में नई जान ओ कशिश वो डालता है
तरसते रहते जिनकी आवाज़ सुनने और दिल में बसने को,
किरदार खत्म होने पर पर्दा गिरने से पहले हमें उनसे मिलवाया जाता है