जिंदगी मैं भी तो हूं
जिंदगी मैं भी तो हूं ,मेरी तरफ भी देख ।
क्यों निकालती रहे तू, मुझ में मीन-मेख ।
तुझे लगती होगी ,हर राह बहुत आसान
मेरे पास तो देख,जीने का नहीं सामान।
चंद सांसें ,कुछ आंसू और कुछ हैं आंहे
जाने कब मौत आके ,डाले गल में बांहें।
हर राह सूनी-सूनी, बची न कोई आस
इतनी जालिम दुनिया,कौन करे विश्वास।
तेरी अजीयतों का हिसाब रखूं कैसे मैं
दिन रही हूं काट बस , जैसे-तैसे मैं।
सुरिंदर कौर