** जिंदगी मे नहीं शिकायत है **
** जिंदगी मे नहीं शिकायत है **
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आप सा जो मिला इनायत है,
जिंदगी से नही शिकायत है।
हाव से वो बता रहा मतलब,
बोलने में करे किफ़ायत है।
खोल कर कुछ न वो कहे मन की,
फिर मुखौटा ढका लियाक़त है।
साथ देते नहीं कभी अपने,
गैर मिलते गले नियामत है।
जान कर जो बने पराया प्रिय,
लाज़िमी चाहिए कुछ रियायत है।
कुछ अलग सा रफ़ीक मनसीरत,
कह न पाओ अगर बग़ावत है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)