Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2023 · 1 min read

जिंदगी में रंग भरना आ गया

जिंदगी में हमें अब रंग भरना आ गया।
तुम मिले,हम को तो संवरना आ गया‌ ।

लोग बात बात पर रूठते रहे हमसे,
हमें खुशबू की तरह बिखरना आ गया।

जिल्लतें बहुत दी हैं हमें हालात ने
इसी वास्ते हमें,जंग लड़ना आ गया ।

सवाल मेरी वफ़ा पर उठाने लगे हो
शायद तुम्हें बेवफाई करना आ गया।

छीनना चाहा था तुमने, हर रंग मुझसे
जिंदगी में मगर हर,रंग भरना आ गया।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all
You may also like:
तमाम रात वहम में ही जाग के गुज़ार दी
तमाम रात वहम में ही जाग के गुज़ार दी
Meenakshi Masoom
2737. *पूर्णिका*
2737. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
हिन्दी पर हाइकू .....
हिन्दी पर हाइकू .....
sushil sarna
मन कहता है
मन कहता है
Seema gupta,Alwar
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
हाथों में डिग्री आँखों में निराशा,
शेखर सिंह
सफलता
सफलता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"हाशिये में पड़ी नारी"
Dr. Kishan tandon kranti
The Sweet 16s
The Sweet 16s
Natasha Stephen
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
Shyam Sundar Subramanian
में बेरोजगारी पर स्वार
में बेरोजगारी पर स्वार
भरत कुमार सोलंकी
भटकता पंछी !
भटकता पंछी !
Niharika Verma
*दो टूक बात*
*दो टूक बात*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
ऐसे हालात क्यूॅं दिखाया तूने ईश्वर !
Ajit Kumar "Karn"
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका  आकार बदल  जाता ह
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता ह
Jitendra kumar
गोंडीयन विवाह रिवाज : लमझाना
गोंडीयन विवाह रिवाज : लमझाना
GOVIND UIKEY
भोर समय में
भोर समय में
surenderpal vaidya
मैं ख़ुद डॉक्टर हूं
मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना
Bindesh kumar jha
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
सदपुरुष अपना कर्तव्य समझकर कर्म करता है और मूर्ख उसे अपना अध
Sanjay ' शून्य'
जब बचपन में स्कूल की कॉपी में Good या A मिलता था, उसकी ख़ुशी
जब बचपन में स्कूल की कॉपी में Good या A मिलता था, उसकी ख़ुशी
Lokesh Sharma
ज़िंदगी के रंगों में भरे हुए ये आख़िरी छीटें,
ज़िंदगी के रंगों में भरे हुए ये आख़िरी छीटें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
Dushyant Kumar
सोना बन..., रे आलू..!
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
DrLakshman Jha Parimal
सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
पूर्वार्थ
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
दिल के इस दर्द को तुझसे कैसे वया करु मैं खुदा ।
Phool gufran
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सच्चे होकर भी हम हारे हैं
सच्चे होकर भी हम हारे हैं
नूरफातिमा खातून नूरी
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
Dr Archana Gupta
Loading...