*जिंदगी में जब मिले सुख-दुख पिता की याद आई (गीत )*
जिंदगी में जब मिले सुख-दुख पिता की याद आई (गीत )
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जिंदगी में जब मिले सुख-दुख पिता की याद आई
( 1 )
चट्टान के जैसे अडिग, जो संस्कार थमा गए
प्रीति के संबंध पावन, जो असंख्य कमा गए
काम की अनुशासनों की, सीख थी उनकी सिखाई
( 2 )
हाथ की उँगली पकड़, वह अर्थ जीवन के बताते
देख उनको अनकहे, हम सीख सौ-सौ बात जाते
जब कदम पहला रखा, तब दी उन्होंने थी बधाई
जिंदगी में जब मिले सुख-दुख पिता की याद आई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451