” जिंदगी में अपने”
ए जिंदगी तुझे क्या बताऊं,
हम कितना परेशान रहते हैं ।
खुशियां ढूंडने जाओ,
यहां तो ,अपने ही अपनों को परेशान करते हैं।
खुद को ईमानदार साबित कर,
दूसरों को फरेवान कहते हैं,
ए जिंदगी तुझे क्या बताऊं ,
हम कितना परेशान रहते हैं,
बेखौफ जिंदगी ,जीने का हौसला रख, उड़ान भरते है ,
पर क्यूं अपने ही खौफ की, जंजीरों में जकड़ते नजर आते हैं
ए जिंदगी तुझे क्या बताऊं,
हम कितना परेशान रहते हैं,
दुनिया खामोश सी नजर आती है जब,
अपने में अपनों की खुशियां छीनते नजर आते हैं,
सोचते हैं की क्या वाकई में ,हम फरेबी हैं,
या वही फरेबान समझते हैं,
ए जिंदगी तुझे क्या बताऊं,
हम कितना परेशान रहते हैं,
कहते हैं खुशियां तो अपनी ही मुट्ठी में होती है, लेकिन,
यहां तो अपने ही खुशियों को गुमनाम करते हैं
ए जिंदगी ,अब तू ही बता,
अपने ही अपनों की ,खुशियां छीनते नजर आते हैं
ए जिंदगी, ए जिंदगी
क्यों हम अपनों से ही परेशान रहते हैं।