*जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर*
जिंदगी मुझ पे तू एक अहसान कर।
दे दे रिहाई जिस्म को आसान कर।
है खो चुकी बच्चों में वो मासूमियत,
हो सके उनको ज़रा नादान कर।
पाले हुए है आदमी खुदगर्जीयां,
इंतहा है यह सब्र की पहचान कर।
इंसान हो इंसान को तू प्यार कर,
क्या करेगा इससे ज्यादा जान कर।
चाहिए सुकून ए दिल तो काम कर,
नींद ले राहत की चादर तान कर।
अब नहीं मुझको किसी का इंतजार,
तू जो चाहे अब वही फरमान कर।
सुधीर कुमार
सरहिंद,फतेहगढ़ साहिब, पंजाब