जिंदगी भ्रम है
मैं तुझसे क्या कहूँ, ए जिंदगी
मैं तुझमें हूँ
और परेशान तुझसे हूँ,
तू हंसाती है
तो हंसता हूँ
रुलाती है
तो तुझसे रूठ जाता हूँ
तू सिक्का है मेरे वक्क्त का,
जो ऊपर है तो हँसता हूँ
जो नीचे है
तो रूठ जाता हूँ..!
मैंने तुझसे जो मांगा
कुछ मिला
कुछ अभी बाकी है
जो मिला
मुट्ठी से धूल बनकर फिसल रहा है,
जो बाकी है
बाकी, मुझे अब नही चाहिए..!
सच ही कहा है,
ना कुछ पाना है
ना कुछ खोना है,
जानकर भी ये सब, ए जिंदगी
मैं भागता रहा,
भागता रहा, भागता रहा,
और भागने का जैसे नशा हो गया..
शराब नही पी
फिर भी मैं नशेबाज हो गया..
ए मेरे पीछे के दर्पण
तू आगे दिखता नही
और मैं पीछे देखता नही..!
मैं किससे कहूँ
मैंने किसी को सुना ही नही
मैं हंसता रहा दूसरों पर
और आज मैं हँस रहा हूँ खुदपर…!
ए सामने के अंधेरे
तू रोशन क्यों नही होता
मेरी आँख है पर मुझे दिखता नही,
ये तू क्यों नही समझता..
ए जिंदगी
ना रूठ,ना हँस
मैं जल्द आऊंगा तुझे लेकर,
साथ अपने,
क्योकि तू ही मैं हूँ
और मैं ही तू है…!!!