जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
अब कोई क्या ही बिखरा देगा
हां समेट सके तो बात, वरना जाए भाड़ में
हमें क्यों फिक्र सताए अब
जब बिखराव ही जिंदगी है।
पोइट्री खाखोलिया
जिंदगी तो पहले से बिखरी हुई थी
अब कोई क्या ही बिखरा देगा
हां समेट सके तो बात, वरना जाए भाड़ में
हमें क्यों फिक्र सताए अब
जब बिखराव ही जिंदगी है।
पोइट्री खाखोलिया